रोशन मुस्तक़बिल ने किसानों के लिए उठाई आवाज़
पीछले सात महिनों से रूखी सूखी खाकर, गर्मी, सर्दी एंव बारिश बरदाश्त करते हुवे देश के अन्नदाता किसान एहतेजाज की चादर फैलाए अपना हक़ मांग रहै हैं। लेकिन सरकार पिछले सात महीनों से सुना अनसुना कर रही है।
किसानों के दुख दर्द एंव उनकी पीडा को महसूस करते हुवे रोशन मुस्तक़बिल दिल्ली ने तीन चार महिने पहले भी टिवटर और सोशल मिडिया पर किसानों के हक़ मे आवाज़ उठाइ थी और 9 जूलाइ 2021 ई० शुक्रवार को रोशन मुस्तक़बिल दिल्ली ने फिर से टिवटर पर "#किसान_जीतेगा” हैशटेग के साथ किसानों किसानों का दर्द समझते हुए उनके लिए आवाज़ बुलंद की।
इस # के साथ देश के इतने युवा जुड़े के सिर्फ़ कुछ ही समय में यह हैशटेग भारत में एक नम्बर पर ट्रेंड करने लगा।
इससे पता चलता है कि देश के युवाओं की मंशा क्या है और वह किसानों के प्रति कितना दर्द अपने सीने में छुपाए बैठे हैं। इस कामयाब ट्रेंड ने एक बार फिर साबित कर दिया कि देश का युवा चाहता है कि किसानों के साथ इंसाफ किया जाए और उनके हितों के खिलाफ बनाए गए काले क़ानून वापस लिए जाएं।
हमारे देश के जो किसान धरने पर बैठे हुए हैं उन किसानों का धरना जिन तीन कानूनों पर अटका है उसका विवरण कुछ इस प्रकार है कि सितम्बर 2020 के आखरी सप्ताह मे सरकार ने ठेका खेती, भंडारण,और मण्डियों के ताल्लुक़ से तीन बिल प्रस्तुत किये थे जिनमे कहा गया था कि किसान अब कहीं भी अपना माल बेच सकते हैं, और आपात स्थितियों के अलावा कोई भी कितने भी माल का भंडारण कर सकता है और प्राइवेट कंपनियां कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग अर्थात ठेका खेती कर सकती हैं।
28 सितम्बर 2020 को राष्ट्रपति से हस्ताक्षर करवाकर उन बिलों को का़नूनी प्रारूप दे दिया गया। और सरकार ने इन तीनों का़नूनों को किसानों के हित मे बताया।
मगर देश के किसान को सरकार की मंशा पर संदेह है। और सरकार के साथ कई दौर की बातचीत के बाद भी कोई नतीजा नहीं निकल सका। किसानों का केहना है कि यह का़नून किसानों के लिए मौत का परवाना हैं।
यह का़नून सिर्फ़ और सिर्फ़ बड़ी-बड़ी कंपनियों को फा़यदा पहुंचाने के लिए बनाए गए हैं जो किसानों को उन्हीं की जमीन पर बंधुआ मजदूर बना कर रख देंगे। बडी बडी कम्पनियां मन मानी की़मत पर हमारी फस्लें खरीदेगी और मनमाना भंडारण करके किसानों को सस्ते दाम पर बेचने पर मजबूर कर देंगी एवं जनता के लिए मनमानी कीमतों पर बेचेंगीं जिससे ना सिर्फ़ किसान बल्कि देश की जनता भी महंगाई और भुखमरी का शिकार होगी। उस समय किसी के हाथ में कुछ नहीं होगा और हम चाह कर भी कूछ नहीं कर पाएंगे।
हम सिर्फ़ गु़लाम और नौकर बन कर रह जाएंगे। जैसा बीते समय में किसान बनिया और साहूकारों की गु़लामी की ज़ंजीरों में जकड़े रहते थे।
इस लिए सरकार इन का़नूनों को तत्काल प्रभाव से वापस ले।
और किसान नेताओं का कहना है कि जब तक सरकार यह तीनों काले का़नून वापस नहीं लेगी हम धरना स्थल पर डटे रहकर धरना प्रदर्शन जारी रखेंगे।
गौरतलब है कि किसानों के इस धरना प्रदर्शन में अभी तक बड़ी संख्या में किसानों की जानें भी गई हैं।
रोशन मुस्तक़बिल ने किसानों की इस पीड़ा को समझा और ट्विटर पर लोगों से इस पर उनकी राय जानने की कोशिश की तो बड़ी संख्या में लोगों ने किसानों के हक में आवाज उठाई और सरकार से इन तीनों काले का़नूनों को वापस लेने की मांग की। लोगों ने कहा: "कि जब किसानों ही को उनके लिए लाए गए का़नून कुबूल नही है तो लोकतांत्रिक मुल्क मे उनके हक को स्वीकार करते हुवे उनकी मांगे पूरी की जाएं और इन तीनों का़नूनों को तत्काल प्रभाव से ख़त्म किया जाए।”
रिपोर्ट: बिलाल अहमद निजा़मी, रतलाम